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लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन भाग 25

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                 मेरा बाप  मेरा दुश्मन  भाग  25

           अब तक के भागौ में आपने पढ़ा  कि तान्या व विशाल ने भागकर  शादी की थी जिससे दुःखी होकर  तान्या के मम्मी पापा ने जहर खाकर  आत्महत्या करली। जब यह खबर  तान्या को मिली वह टेन्शन में आगई  और उसको ट्यूमर होगया।  तान्या की लम्बी बीमारी से मौत के बाद रमला की परवरिशके लिए  विशाल सारिका से शादी कर लेता है।

        सारिका की सहेली सलौनी रमला की सुन्दरता देखकर  उससे पैसा कमाने का लालच सारिका। को देती है। सारिका व सलौनी विक्रम  के द्वारा रमला को प्यार के जाल में फसवाते हैं। रमला उस जाल में फसकर भी सतर्क रहती है। अब रमला विक्रम   से जिद करने लगी की वह अपने मम्नी पापा से मिलबाऐ इसके बाद सलौनी ने एक गरीब बुजुर्ग दम्पत्ति को लालच देकर  विक्रम  के नकली मम्मी पापा बनाकर मिलवा  दिया । लेकिन रमला को विक्रम  की की बातपर शक हो गया की यह विक्रम  के मम्नी पापा नहीं हैं।
           अब रमला की समझ में आने लगा कि उसके साथ कोई  साजिस रची जारही है रमला ने भी अपनी सौतेली माँ सलौनी व  विक्रम  की जासूसी एक सूरज नाम के अपने पुराने दोस्त से करवाना शुरू करदी। अब विक्रम  भी डर गया उसने रमला को पूरा प्लान बताकर सारिका व सलौनी की चालाकी बतादी ।विक्रम  ने रमला को यह भी बता दिया कि मेरा प्यार झूंठा था। मै तुमसे कैसे भी शादी नहीं कर सकता हूँ।आगे की कहानी इस भाग में पढ़िए। 

       विक्रम  रमला से बोला," रमला मुझे माफ करना। मेरे साथ जैसा हुआ है बैसा किसी के साथ न हो। मैं तुमसे प्यार भी करता था और नहीं भी करता था।

रमला= विक्रम इसमें तुम्हारा कोई दोष  नही है। अब तुमने सब कुछ समय पर  सत्य बताकर अपना दामन साफ कर लिया है।मेरे दिल में तुम्हारे प्रति कोई भी शिकवा नही है।

विक्रम = रमला तुमने  मुझे माँफ कर दिया लेकर मैं क्या करूँ क्यौकि मेरा मन मुझे माँफ नहीं कर  पा रहा  है।मैने तुम्हारे साथ गलत किया था। अब मैने तुम्है अपनी मजबूरी बता दी है। तुम मुझे भुलाकर अपना जीवन साथी अपनी इच्छा से चुनलो।

रमला = विक्रम मै तुमसे  जब पहली बार मिली थी तब मै तुम्है बुरा आदमी समझती है लेकिन अब   मेरा दिल तुम्हारे लिए ही धड़क रहा है।  मैं तुम्हारे मम्मी पापा से मिलकर अपने प्यार की भीख माँगूँगी। तुम मुझे एक अवसर  तो प्रदान करो।

विक्रम =  नहीं रमला मै तुम्है अपने पापा से मिलने की इजाजत नहीं दूँगा क्यौकि मेरे पापा को मैं जानता हूँ।वह हमारे प्यार को  कभी भी स्वीकार नहीं करैगे।वह तुम्हारी बेइज्जती भी कर सकते है। इसलिए उनसे मिलना ठीक नहीं है।

  रमला =विक्रम तुम बहुत ही डर रहे हो। तुम इसीलिए  सलौनी व सारिका से ब्लैकमेल होते रहेॄ। तुम इस डर से बाहर निकलने की कोशिश करो।

              रमला विक्रम को जितना अपने पास लाने की कोशिश कर रही थी वह उतना ही दूर भाग रहा था। रमला को विक्रम पर तरस भी आरहा था और क्रोध भी आर रहा था क्रोध का कारण उसका डर कर दूर भागने के कारण था।

       रमला उसको समझाकर परेशान होगयी लेकिन वह उसको समझा नही सकी।

रमला = "विक्रम जाते हुए एक काम तो मेरे लिए  कर दे तू मुझे मेरी सौतेली माँ व तेरा वीडियौ कैसे भी अरेन्ज करदे मै तेरा अहसान कभी नही भूलूँगी। बैसे भी तूने मुझे बहुत बडी़ साजिस से बचा लिया। इसके लिए तू मुझसे जो मांगना  चाहे मै देस कती हूँ।"

विक्रम= " रमला मै तुझसे यहीं मागता हूँ तू मुझे भूलजाना सोच लेना कि एक पागल मेरी जिन्दगी में आया और धोका देकर चला गया।"

रमला = "अब रुलाना  चाहता है क्या ? तुझ जैसे साथी को भुलाना कठिन ही नही असम्भव है।"

विक्रम  =" रमला वीडियौ तो लाना सम्भव नही है क्यौकि मै कल ही यहा़ से दिल्ली अपनी माँसी के पास जारहा हूँ और मै यह फौन नम्बर भी बदल दूँगा। मै अब यहाँ कब आऊँ?  मुझे स्वयं नही मालूम ।"

      इसके बाद विक्रम रमला से पुनः माँफी मागता हुआ वहाँ से चला गया।रमला विक्रम को जाता हुआ देखती रही।
       रमला एक तरफ खुश हो रही थी कि वह कितनी बडी़ साजिस से बच गयी दूसरी तरफ परेशान भी होरही थी कि विक्रम उसको इस तरह छोड़कर चलागया।

      रमला को विक्रम का इस तरह छोड़कर जाना बिल्कुल समझ में नही आरहा था वह सोच रही थी कि विक्रम बहुत ही डरपोक किस्म का इन्सान है इसीलिए वह ब्लैकमेल होता रहा था। वह आजकल के समय में वह अपने पापा से कितना डरता है और उसके पापा भी तो कितने पुराने बिचारौ के इन्सान है।

        रमला का दिमाग काम नहीं कर रहा था घर पहुँचते ही उसका सामना उसकी सौतेली माँ से हुआ।

  सारिका ने रमला को देखकर उससे पूछा," रमला बेटी कहाँ से आरही है। दो दिन से विक्रम नहीं दिखाई देरहा है। क्या कहीं बाहर गया हुआ है ? "

रमला=" मुझे तो नही मालूम है  माँ ?  मै अपनी सहेली के घर गयी थी।"

      रमला को सारिका का चेहरा देखकर हसी भी आरही थी गुस्सा भी आरहा था। वह सोच रही थी कि यह कितनी भोली  बन रही है। इसका चेहरा कितना मासूम है। लेकिन इस मासूम चेहरे के पीछे छिपा हुआ चेहरा कितना मक्कार व खतरनाक है।

       रमला के मन मे आरहा था कि इसके गिरेवान को पकड़ कर पूछूं कि मैने तेरा क्या बिगाडा़ है जिसके लिए तू मेरे पीछे पडी़ है। वास्तव में इस जैसी औरतौ के कारण ही सौतेली माँ का नाम बदनाम होरहा है।

      रमला अपने कमरे में जाकर  बहुत परेशान होरही थी ।अब वह इसके बिषय में  अपने पापा से शिकायत करे या नहीं करे ।
  
       रमला सोच रही थी कि उसके पास इन बातौ का कोई भी मजबूत सबूत  भी नही है। यदि वह इसकी शिकायत अपने पापा से करेगी तब वह इसका सबूत तो अवश्य माँगेगै तब मै उनको क्या कहूँगी ।यदि उसको वह वीडियो मिलजाता तो वह  पापा को सब कुछ बता सकती थी।

        फिरभी रमला अपने पापा को एक बार शिकायत करने का मन बना चुकी थी। वह अब अपने पापा का इन्तजार कर रही थी।

       ज़ब विशाल रात को आफिस से घर आया। तब वह अपने पापा को शिकायत करने का मौका देख रही थी। परन्तु उसे कोई मौका ही नहीं मिल पा रहा था क्यौकि विशाल एक तो आफिस से काफी लेट  आता था और आकर वह अपने बेटे के साथ खेलने में ब्यस्त हो जाता था।

         रमला को अपने पापा से मिले हुए  कभी कभी दो दो दिन होजाते थे। आज भी उसे पापा से मिलने का अवसर ही नहीं मिल पा रहा था।

         रमला इन्तजार करके अन्त में अपने कमरे में जाकर सोगयी।

                       "  क्रमशः"  आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए। 


कहानीकार  प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी"


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3 Comments

Babita patel

11-Sep-2023 11:14 AM

Very well

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kashish

08-Sep-2023 07:17 PM

Very nice

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madhura

06-Sep-2023 05:09 PM

Nice one

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